Supreme court of India on credit card: क्रेडिट कार्ड रखना हुआ और महंगा, चुकानी होगी तिगुनी कीमत!

परिचय

दोस्तों आज के समय पर आपको पता होगा कि बैंक जो अलग-अलग प्रकार के क्रेडिट कार्ड जारी करती है वह बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो गया है क्योंकि इससे बहुत सारे लाभ होते हैं।  मान लीजिए जब आप एयरपोर्ट जाते हैं तो वहां लॉउन्ज  की सुविधा इससे आपको निशुल्क मिल जाती है। इसके अलावा जब भी आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो उसमें कैशबैक भी मिलता है। यह अच्छी बात है और लोग इसका लाभ उठाना चाहते हैं। लेकिन  क्रेडिट कार्ड को लेकर लोगों में डर होता है । इसकी वजह यह है  कि इस पर जिस तरह ब्याज दर वसूल किया जाता है बैंकों के द्वारा, वह बहुत ज्यादा होता है । अगर आप पेमेंट देर से करते हैं या पेमेंट नहीं कर पाते हैं तो आप पर बहुत भारी पेनल्टी लगती है। सुप्रीम कोर्ट गया और उसे पर सुप्रीम कोर्ट ने यह  फैसला सुनाया की बैंक अपनी मर्जी से जितना चाहे क्रेडिट कार्ड पर पेनल्टी लगा सकती  है। ऐसे में “supreme court of India” अपना फैसला बैंकों के पक्ष में दिया है जो पब्लिक पर अब से भारी पेनल्टी लगा सकती है। आज हम आपको यह पूरा मामला विस्तार से बताएंगे चलिए शुरू करते हैं।


हुआ क्या है ?

देखिए 2008 में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन (एनसीडीआरसी) का एक निर्णय आया जिसमें यह कहा गया था कि बैंक क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि पर बहुत ज्यादा ब्याज दर पर वसूलती है। तो इस पर एक तरह से लगाम लगा दी गई। तब बोला गया कि बैंक्स अधिकतम 30% तक ही पेनल्टी लगा सकते हैं। उससे अधिक वह नहीं लगा सकते। मगर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया और कहा कि बैंक जितनी पेनल्टी लगाती  है या नहीं लगाती  है, वह सभी आरबीआई के अंदर में आनी चाहिए ना कि नेशनल कंज्यूमर फोरम इस पर अपना निर्णय देंगे।

NCDRC ने 2008 में क्या निर्णय दिया ?

अब आपको बताते हैं 2008 में एनसीडीआरसी ने कौन सा फैसला दिया था। देखिए यहां पर एनसीडीआरसी  के पास मामला गया था कि बैंक क्रेडिट कार्ड पर इतनी ज्यादा चार्ज क्यों करते है  हैं जिसमें कोई बैंक 40% तो कोई 50% तक भी चार्ज लगा देते हैं जो कि गलत है और इसे नहीं होना चाहिए। ऐसे में उन्होंने कहा कि आपकी बात सही है क्योंकि लोगों से ज्यादा ब्याज दर वसूलना कहीं ना कहीं गलत तरीका है और ऐसा नहीं होना चाहिए। उसके बाद से उन्होंने निर्णय सुनाया की क्रेडिट कार्ड पर किसी भी विलंब के लिए अधिकतम 30% तक पेनल्टी ही लगाई जा सकती है। अगर बैंक चाहे तो वह आप पर दया करके 20% चार्ज कर सकते हैं, 25% चार्ज कर सकते हैं या फिर 30% चार्ज कर सकते हैं। मगर 30 परसेंट से ऊपर वह आपसे कोई चार्ज नहीं कर सकते। इसके लिए तर्क यह  दिया गया एनसीडीआरसी के द्वारा की, लोन पर अधिकतम 10 से 15% तक ब्याज दर  चार्ज होता है। ऐसे में जब लोन पर 10 से 15% तक इंटरेस्ट रेट होता है तो यहां पर बैंकों की मनमानी नहीं चलेगी और वह 30% से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकते। जैसे आप कार  लोन या होम लोन लेते हैं तो वह सस्ता होता है। इस पर अधिकतम ब्याज दर 9 से 10% तक होते हैं लेकिन जब आप पर्सनल लोन लेते हैं तो क्योंकि वह थोड़ा अधिक जोखिम भरा होता है, जिससे  बैंक आप पर  15% तक चार्ज लगा देती है। इसी के चलते एनसीडीआरसी का फैसला आया 2008 में, की क्रेडिट कार्ड पर 50% तक की पेनल्टी लगाना गलत है और तब से इसकी लिमिट 30% तक कर दी गई थी।

लेकिन जाहिर सी बात है कि 30% लिमिट का फैसला बैंकों के पक्ष में नहीं था। इसलिए वह इस फैसले को पलटना चाहते थे जिसके चलते वह सुप्रीम कोर्ट गए और अंततः जस्टिस बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच से यह फैसला आया है। यहां पर  बैंकों  ने यह भी कहा की जो फैसला एनसीडीआरसी ने सुनाया, वह उनके जूरिडिक्शन में नहीं आता है। इसलिए उन्हें इस पर निर्णय नहीं देना चाहिए था ।

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बैंकों का क्या कहना था ?

बैंकों का तर्क भी आपको बता देता हूं। उनका तर्क यह  था कि कोई भी चार्ज को घटना या बढ़ना  है या इससे संबंधित कोई भी फैसला लेना है, तो इसका पूरा अधिकार आरबीआई के पास है। एनसीडीआरसी के निर्णय को लेकर बैंकों का यह भी कहना था कि क्रेडिट कार्ड को आप बाकी के लोन से तुलना नहीं कर सकते हैं क्योंकि बाकी के लोन अलग तरह के हो जाते हैं, जो ज्यादा राशि में होते हैं और उसमें शुरुआत से ही किश्त  भरनी पड़ती है। लेकिन क्रेडिट कार्ड के केस में हम अपने ग्राहकों को कुछ सुविधा दे रहे होते हैं जिनमें उन्हें 45 दिन के लिए जीरो इंटरेस्ट रेट पर पैसे मिलते हैं।
 
आपको मालूम होगा कि क्रेडिट कार्ड से अगर आपने  2 जनवरी को गीजर खरीदने के लिए पेमेंट किया। तो  ऐसे में संभव है कि आपका क्रेडिट कार्ड का बिल 2 फरवरी को जनरेट होगा और उसके बाद भी आपको आगे 15 दोनों का एक्स्ट्रा समय दिया जाता है। ऐसे में आपको 45 दिन तक बिना ब्याज के ही पेमेंट करने का विकल्प होता है।अगर आप समय पर पेमेंट कर देंगे तो बैंक आप पर कोई चार्ज  नहीं लगाएगा। आगे बैंकों ने यह भी कहा कि क्रेडिट कार्ड पर पेनल्टी उन्हीं  कस्टमर पर लगती है जो पेमेंट मिस कर देते हैं। ऐसा नहीं है की पेनल्टी सब पर लगती है। इसी की वजह से बैंकों के अनुसार एनसीडीआरसी का निर्णय गलत था क्योंकि उन्होंने जल्दबाजी  में फैसला सुना दिया। इसलिए बैंक सुप्रीम कोर्ट चले गए। 

यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी का 2008 का फैसला पलट दिया और कहा कि बैंक जितना चाहे ब्याज दर अब से क्रेडिट कार्ड पर  लगा सकती है। अब वह 15% ले, 25% ले या 55% ले यह  बैंकों पर निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट बोला कि यह बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के अंदर की बात है। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के अंदर बैंकों को इसकी छूट दी जाती है कि वह क्रेडिट कार्ड पर अपनी मर्जी से जितना चाहे पेनल्टी लगा सकते हैं।

नए नियम के आने से क्या प्रभाव पड़ेगा ?

अब बात करते हैं इसका असर क्या होगा ? इससे साफ है कि जो बैंक के कस्टमर है, उनको इससे  लॉस होगा। जो लोग समय रहते बैंक को पे नहीं करते हैं उनको अबसे नुकसान होने वाला है। मान लीजिए आपने  अपने क्रेडिट कार्ड का ₹30000 पेमेंट नहीं किया। तो पहले नियम के अनुसार आप पर बैंक अधिकतम 30% तक चार्ज लगा सकती थी तो उससे आपको अधिकतम ₹9000 पेनल्टी देनी पड़ती। मगर अब बैंक 50% तक पेनल्टी लगा सकती है तो आपको ₹15000 पेनल्टी देनी  पड़ेगी। मतलब अबसे आपको  20% ज्यादा यानी ₹6000 ज्यादा आप पर पेनल्टी लगती। ऐसे में इसका यह बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा।

 दूसरा इस बैंकों के पास  अवसर मिल गया है जिससे वह मार्केट की स्थिति के हिसाब से पेनल्टी चार्ज कर सकते हैं। मान लीजिए किसी कस्टमर का जोखिम पूर्ण हिस्ट्री रहा है कि वह समय पर बैंक को नहीं पेमेंट करता है। ऐसे में उस पर बैंक ज्यादा ब्याज दर लग सकता है। तो अबसे  बैंकों को छूट मिल गई है।

तीसरा इससे बैंकों के पास राजस्व बढ़ेगा जिससे उन्हें लाभ मिलेगा। तो यह सभी बैंकों के लिए अच्छी बात है मगर उनके कस्टमर के लिए बुरी बात है।

आरबीइआई ने क्या कहा ?

 अब इसको लेकर आरबीआई ने जो कहा उसे भी मैं आपको बताता हूं। इस समय आरबीआई ने बैंकों को यह नहीं बताया कि आप इतना चार्ज करो लेकिन उन्होंने कहा कि आप बहुत ज्यादा चार्ज मत करो। यहां पर उन्होंने सिर्फ  एक सलाह  दी, ना की कुछ कहा कि आप इतना प्रतिशत चार्ज करो। मतलब आरबीआई ने बैंकों के डायरेक्टर्स के पास या अधिकार दे दिया कि वह अपनी मर्जी से 20%, 30% या  50% तक चार्ज कर सकते हैं।
बहुत से क्रेडिट कार्ड बहुत लाभदायक होते हैं। उससे आपको बहुत अधिक कैशबैक मिलता है। अगर आप साल में 15 लाख क्रेडिट कार्ड से खर्च कर रहे हैं तो बहुत से लोगों  को इसका लाभ होता है जिससे वह फ्लाइट की टिकट बुक कर लेते हैं और उससे उन्हें दो से तीन लाख की कमाई हो जाती है। तो बैंक आपको ऐसी  सुविधा दे रहा है। अब जो क्रेडिट कार्ड ज्यादा अच्छे वाले होते हैं, उन पर बैंक ज्यादा इंटरेस्ट लगाना चाहते हैं, अगर आप समय पर पेमेंट नहीं करते हैं। तो यहां पर आरबीआई ने यह अधिकार इस समय बैंकों को दे दिया है।
इसके अलावा यहां पर आरबीआई के पास इस विषय पर निर्णय देने की शक्ति बहुत सीमित है। जैसे कि मैं आपको पहले ही बताया था कि “1949 के बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट” में भी यह बात बैंकों को  बोली गई है की यह अधिकार उनके पास ही है कि वह कितना प्रतिशत इंटरेस्ट रेट चार्ज करेंगे क्रेडिट कार्ड पर।  
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विदेशों में पेनल्टी चार्ज कितना है ?

अगर आप भारत की तुलना दूसरे देशों से करें तो उन देशों में जो  इंटरेस्ट रेट होता है, उसको भी आपको बताता हूं। एनसीडीआरसी ने 2008 के निर्णय में बोला था कि भारत में क्रेडिट कार्ड पर इंटरेस्ट रेट दूसरे देशों से ज्यादा लगता है। ऑस्ट्रेलिया में क्रेडिट कार्ड पर यह 18 से 24% है, हांगकांग में 24 से 32% है और  जो इस समय इमर्जिंग इकोनामी है (फिलिपींस इंडोनेशिया और मेक्सिको है) वहां यह 36 से 50% तक है। ऐसे में भारत भी 36 से 35% के बीच आ रहा है। इसलिए एनसीडीआरसी ने कहा कि दुनिया में बहुत से देशों में  क्रेडिट कार्ड पर  ब्याज दर कम लगते हैं। इसलिए हमारे बैंकों को भी इतना इंटरेस्ट चार्ज नहीं करना चाहिए। इसको देखते हुए तब 30% की कैपिंग कर दी गई थी लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है।

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