Manipur CM: दबाव में आकर बिरेन सिंह ने इस्तीफा दिया ?

मणिपुर के सीएम ने दिया इस्तीफा

Manipur CM: 10 फरवरी 2025 को मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह राजभवन पहुंच कर राज्यपाल राजकुमार भल्ला से मुलाकात करते हैं और उनको इस्तीफा सौंप देते हैं। उनका यह इस्तीफा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो वर्षों में मणिपुर में बहुत ज्यादा हिंसा हुई है और यह अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मतलब वहां पर अभी भी चीजें सुधरती नजर नहीं आ रही है। वहां पर कुछ दिन सब कुछ शांत रहता है, मगर बीच में तभी खबर आती है कि मणिपुर में फिर से हिंसा हो गया है। वीरेंद्र सिंह 2017 से मणिपुर के मुख्यमंत्री थे।

क्यों इस्तीफा दिया ?

सबसे पहले आपको बता दूँ कि मणिपुर के बीजेपी विधायक भी बिरेन सिंह को समर्थन देना नहीं चाहते हैं। लगभग 22 सालों से मणिपुर में अशांति बनी हुई है जिसके चलते भाजपा के सांसद दिल्ली आ गए और वहां जाकर केंद्र को बता रहे थे कि उनका वहां पर सरकार चलाना ठीक नहीं है। इसको देखते हुए उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर तुरंत गवर्नर को अपना इस्तीफा दे देते हैं। यहां पर मणिपुर में बीजेपी चीफ शारदा देवी ने कहा कि वीरेन सिंह इस्तीफा लोग कल्याण के लिए दिया है। मगर यह सब राजनीतिक बयानबाजी हो जाती है, लेकिन उनकी पार्टी के सदस्यों की तरफ से भी बहुत ज्यादा दबाव आ रहा था। इसके अलावा विपक्ष भी सवाल उठा रहा था कि इतनी हिंसा के बावजूद वीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने ही रहना चाहते हैं। इसके चलते मणिपुर कांग्रेस कह रही थी कि हम जल्द ही सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे।

कांग्रेस क्यों अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी ?

मणिपुर में बीजेपी के पास बहुमत है। वहां पर 2022 में चुनाव हुआ था और अगला चुनाव वहां पर 2027 में 5 साल बाद होगा। मगर NDA के पास 45 सीट है और आपको पता है की मेजोरिटी 31 सीट पर मणिपुर में है। यहां पर बीजेपी को अकेले ही पूर्ण बहुमत है, लेकिन पार्टी के अंदर चल रहे हैं कलेश के चलते संभव है कि कांग्रेस पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसका फायदा उठाना चाह रही होगी, जिससे भाजपा के ही सदस्य वीरेंन सिंह के विरोध में वोटिंग करें। मगर इससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। विपक्ष पीएम मोदी से भी मणिपुर जाकर वहां के हालात को देखने की अपील कर रहे हैं, मगर पीएम अब तक वहां नहीं गए हैं।

क्या है मणिपुर हिंसा मामला ?

मणिपुर में एक तरफ मैती लोग हैं और दूसरी तरफ जनजाति ग्रुप में कुकी और जो हैं। यहां पर मैती लोगों की ज्यादातर आबादी इंफाल वादी में रहती है। इंफाल वादी में मणिपुर के बीच वाला भूभाग है और इसके आसपास जितने भी जगह हैं वो पहाड़ी क्षेत्र हैं। वहां पर कुकी और जो जनजाति रहती है। पिछले दो वर्षों में हिंसा के बाद इंटरनेट सस्पेंड हुआ, कर्फ्यू लगाए गए, बहुत से लोगों के घर को जलाया गया इत्यादि। इस हिंसा में 500 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हालांकि यह तो सरकारी आकड़ा है, ना जाने वहां जितने लोगों की मौत हुई होगी, इसका अंदाजा लगाना बहुत कठिन है। यहां पर मैती लोग मांग कर रहे हैं कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया जाए। इसके बाद 2022 में मणिपुर हाईकोर्ट का भी फैसला आ जाता है जिसमें मैती को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाता है। इसके बाद इस निर्णय के खिलाफ कुकी और जो प्रोटेस्ट करने लगते हैं।

मणिपुर में आगे क्या होगा ?

मणिपुर अभी भी हिंसा और संघर्ष से जूझ रहा है। अब संभव है कि वहां पर राष्ट्रपति शासन देखने को मिले या संभव् यह भी है कि वहां पर नए मुख्यमंत्री आ जाएं। लेकिन ज्यादा चांस लगता है कि केंद्र में भी बीजेपी ही पावर में है और मणिपुर में भी बीजेपी की ही फूल मेजोरिटी है। तो ऐसा लगता है बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद वैकल्पिक रास्ते अपनाये जा सकते हैं जिसमे नया मुख्यमंत्री बीजेपी से ही हो। इसी के साथ में बहुत से लोग या अभियान कर चल रहे हैं कि वीरेंद्र सिंह के इस्तीफा के बाद संभव है कि केंद्र सरकार शांति लाने की कोशिश करें दोनों ग्रुप के अंदर। अब देखना दिलचस्प होगा कि वाकई मणिपुर में शांति आती है अथवा नहीं। क्योंकि वहां पर इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है कि जिस तरह से वहां से घटना का पिक्चर सामने आता रहता है, वह बहुत ही निंदनीय है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम हो जाए और लोग खुशहाल रहें।

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