परिचय
दोस्तों सभी हिंदुस्तानी में Mahakumbh 2025 Prayagraj को लेकर उत्साह है। यह एक ऐसा विश्वास है जो हम सभी को धर्म, पुण्य और संस्कार से जोड़ता है और जब यही श्रद्धा प्रयागराज में संगम के पवित्र जल में मिलती है, तब एक शानदार दृश्य बनता है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग कुंभ मेला देखने के लिए आते हैं। मगर कुंभ हमारे लिए सिर्फ मेला ही नहीं बल्कि यह भारत की पुण्य एकता, भारत की धरोहर भारत की संस्कृति और भारत की अर्थव्यवस्था इन सभी को जोड़कर रखता है। तो आइये आपको इस ब्लॉग में बताते हैं की कुंभ मेला भारत की इकोनॉमी के लिए कितना महत्वपूर्ण है और इससे उत्तर प्रदेश को क्या लाभ मिलने वाला है।

क्या होता है महाकुम्भ मेला ?
महाकुंभ मेला 2025 में फिर से प्रयागराज में आयोजित की जा रही है। आप तो यह जानते होंगे की कुंभ मेला चार स्थानों पर होता है जिनमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन है। इन सभी जगहों पर प्रत्येक 12 साल में कुंभ मेला दोहराया जाता है। इस बार का महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक होगा मतलब जिस दिन शिवरात्रि है, उसी दिन यह समाप्त होगा। इसमें 45 से 50 करोड लोगों के आने की संभावना है। यहां भारत की तीन पवित्र नदियों (गंगा यमुना और सरस्वती) का मिलन होता है। इसलिए इस जगह को संगम भी कहते हैं।
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अर्थव्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण है महाकुम्भ ?
अगर बात करें की कुंभ मेला से अर्थव्यवस्था को कितना फायदा होता है? तो इसके लिए आपको थोड़ा पीछे लेकर चलता हूं। 2013 में जब महाकुंभ प्रयागराज में हुआ था, तो उस समय पर इससे सरकार को 12000 करोड़ रूपए रेवेन्यू मिला था और इसने लगभग 6 लाख लोगों को रोजगार भी दिया था। फिर 2019 के प्रयागराज अर्ध कुंभ से भी हमारी इकोनॉमी को कुल मिलाकर 1.3 लाख करोड रूपए राजसव मिला था।
लेकिन दोस्तों यह बातें तो पुरानी हो गई है, क्योंकि अब हम जी रहे हैं 2025 में और 2025 की अगर मैं आपको फिगर बताऊं, तो आप यह मानने लग जाएंगे कि यह न सिर्फ इतना बड़ा धार्मिक इवेंट है, बल्कि यह हमारी इकोनॉमी को भी नए मुकाम पर ले जाने में सक्षम है। सरकार को अनुमान है कि 2025 के महाकुंभ से 25000 करोड़ रेवेन्यू मिलेगा। इस मेले में फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन लगभग तीन से चार लाख करोड़ का होगा, जिसमें पर्यटन, लोकल सेल्स और सर्विसेज भी शामिल हैं। इस मेले में बहुत सारे कंपनियां अपने-अपने प्रोजेक्ट के प्रचार के लिए लगभग 3000 करोड रुपए लगाने जा रही है क्योंकि इनके लिए कुंभ से बड़ी मार्केट इस समय कहीं नजर नहीं आ रहा। ऐसे में 40 से 50 करोड लोग जब यहां आएंगे, तो इससे अच्छी एडवरटाइजिंग और ब्रांडिंग उनके प्रोडक्ट की दूसरी कहीं पर भी नहीं मिल सकती है।
मेले में कहाँ-कहाँ से राजस्व मिलेगी ?
अब आपको बताता हूं की महाकुम्भ से सरकार को कैसे आमदनी होती है। इसमें सबसे पहले है जीएसटी।आप जानते हैं जब लोग कुंभ देखने जाएंगे, तो वह होटल में रहेंगे और रेस्टोरेंट में खाना खाएंगे। तो इससे सरकार को जीएसटी मिलेगी। इसके अलावा बहुत से प्राइवेट कम्पनियों को सरकार जमीन रेंट पर दी है जिससे सरकार को बहुत अच्छा रेवेन्यू मिलने वाला है। यह कंपनियां वहां पर टेंट लगाकर लोगों की सेवा करेंगे और इन्हें जो रेंट मिलेगा, उसका टैक्स सरकार को मिलेगा। आगे सर्विस चार्ज में ट्रांसपोर्ट सर्विस और पब्लिक पार्किंग फीस से भी सरकार को अच्छा रेवेन्यू मिलने वाली है। फिर वहां पर जो घूमने फिरने वाली जगह हैं, तो उसके लिए टिकट भी सरकार की आमदनी के साधन है। साथ में मेले में खाने-पीने की चीजों पर लाइसेंस जारी करके भी सरकार को रेवेन्यू मिलने की उम्मीद बताई जा रही है।
लोकल लोगों को मिलेगा रोजगार !
हमने देखा कि सरकार को कहां-कहाँ से रेवेन्यू मिलेगी। लेकिन लोकल बिजनेस को जितना प्रमोट किया जाएगा, उतना ही भारत मजबूत बनेगा। ऐसे में यहां पर लोकल इकोनॉमी की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है और यह उनके लिए भी बहुत बड़ा आमदनी का स्रोत महाकुंभ बनकर आता है। वहां पर जो रैहड़ी लगाते हैं, जो शिल्पकार होते हैं, छोटे दुकानदार और नौका चालक अपनी अगले 6 से 8 महीने की आय प्राप्त कर लेंगे सिर्फ 45 दिनों में। ऐसे में इस कुंभ से इन लोगों को काफी उम्मीद है और 50000 लोगों को इस इवेंट से रोजगार भी मिलने जा रहा है। ऐसे में कुंभ सिर्फ मेला ही नहीं, बल्कि यह इमोशन है, उसकी कल्पना एक हिंदुस्तानी ही कर सकता है।
उत्तर प्रदेश में दूसरे तीर्थस्थल पर इसका क्या असर होगा ?
कुंभ मेले में पूरे भारत के लोग जाते हैं। यहां पर बिहार से, पंजाब से, राजस्थान से, कश्मीर से और दक्षिणवर्ती राज्यों से भी लोग आते हैं। यह लोग अपनी योजना लेकर आते हैं कि जब हम कुंभ देखने जा रहे हैं, तो वहां पर 5 से 7 दिन रुकेंगे और वहां के दूसरे जगह पर भी घूमेंगे। इससे कुंभ का असर दूसरे जगहों पर भी पड़ता है। आप जानते हैं कि जब कोई संगम जाएगा, तो वहां से अयोध्या भी जाना चाहेगा क्यूंकि लोगों को याद होगा कि रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष होने जा रहा है। इसलिए लोग अयोध्या भी रामलाल के दर्शन करने जाएंगे। उसके बाद यह लोग काशी-वाराणसी कॉरिडोर भी देखने जाएंगे। फिर कृष्ण जन्म भूमि मथुरा भी देखने जाएंगे। इसी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में बहुत से जगहों पर बौद्ध स्थल है। इसलिए कुंभ का कुल मिलाकर असर न सिर्फ संगम बल्कि उसके आसपास के पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर भी पड़ेगा।
कुंभ मेला देखने के लिए विदेशी भी आते हैं और बताया जा रहा है की वह भी इंडियन इकॉनमी में कुल मिलाकर 2.2 बिलियन डॉलर का योगदान करने वाले हैं। बेसीकली ये लोग देखना चाहते हैं कि इतने सारे लोगों को मैनेज कैसे किया जाता है और क्यों लोगों में अलग तरह का रोमांच होता है? मतलब लोगों में आस्था चारों तरफ फैली रहती है, हर तरफ पॉजिटिव एटीट्यूड होता है। इसकी वजह से बहुत से विदेशी लोग भी यहां आते हैं।
सरकार क्या प्रयास कर रही है ?
अब आपको बताता हूं सरकार के द्वारा इसे सफल बनाने के लिए क्या-क्या प्रयास किया जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा महाकुंभ 2025 में कुल 6990 करोड रुपए निवेश किए गए जबकि अर्धकुम्ब्भ 2019 में लगभग 3700 करोड रुपए निवेश किए गए थे। इसबार इसमें स्वच्छता पर ध्यान देने की कोशिश की जा रही है। भारत खुले में शौच मुक्त बनना चाह रहा है, इसलिए बहुत सारी चीजों को स्वच्छ भारत अभियान के तर्ज पर भी यहां पर लेकर आया गया है। सुरक्षा भी काफी अच्छी देने की कोशिश की गई है, जिससे किसी भी दुर्घटना को टाला जा सके। इसी के साथ-साथ जो श्रद्धालु आएंगे, उनकी सुविधाओं का भी ख्याल रखा जा रहा है। उनके रुकने के लिए टेंट हाउस लगवाए जा रहे हैं और उनके लिए शौचालय का उत्तम प्रबंध किया जा रहा है जिससे उन्हें किसी तरह की सुविधा न झेलनी पड़े। कुंभ मेला देखने के लिए भारत के सभी कोने से लोग आते हैं। इसके लिए भारतीय रेलवे के द्वारा 13000 नई ट्रेनों को शुरू किया गया है। इसके साथ में एक छह लाइन वाली पूल भी गंगा पर बनाया गया है जिससे ट्रांसपोर्ट सही तरीके से चल सके जिससे कहीं ज्यादा गाड़ियों की वजह से जाम की समस्या ना झेलनी पड़ जाए। इसी के साथ-साथ 275 करोड रुपए की लागत से एक रेलवे ओवरब्रिज भी बनाया गया है।
तो दोस्तों जो कदम सरकार ने लिए हैं उन्हें मैंने आपको बता दिया। लेकिन जब भी ऐसे इवेंट का आयोजन होता है जिसमें इतने सारे लोग कहीं पर इकट्ठा होते हैं, तो इसका प्रभाव आगे के वर्षों तक रहता है। मतलब प्रयागराज में जो कुंभ होने वाला है, उसमें जो सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है और जो सुविधा सरकार दे रही है, तो इसका लाभ आने वाले कई वर्षों तक लोगों को मिलता रहेगा और इस तरह के जितने भी बड़े इवेंट होते हैं, उसे न सिर्फ हमारी इकोनॉमी को फायदा होता है बल्कि हमारे देश के गरीब लोगों को भी रोजगार मिलता है। आस्था में लोग खर्च को नहीं देखते हैं। तब वह सिर्फ भावनाओं में बहते हैं और उस भावनाओं में बहते हुए बहुत बार अकल्पनीय कार्य करने लग जाते हैं। मतलब वह यह सोचने लग जाते हैं कि जो भी लोग इस चीज से जुड़े हैं, उन सबका हित हो। इस तरह के मेले में हम जाति धर्म का भेदभाव नहीं देखते हैं। बहुत सारे लोगों को इस मेले में रोजगार मिलता है। ऐसे में यह इवेंट देश की तरक्की को आगे तक ले जाते हैं। इन्हीं बातों को नजर रखते हुए 13 जनवरी से कुंभ मेला शुरू हो रहा है। हम उम्मीद करते हैं इस बार का कुंभ मेला बहुत शानदार हो और बहुत सारे लोगों को इसका पुण्य लाभ मिले।