IIT BABA: घरेलू हिंसा की वजह से बने सन्यासी ?

परिचय


IIT BABA: दोस्तों इस समय आईआईटी बाबा काफी वायरल है और उनकी हर जगह चर्चा हो रही है। प्रयागराज महाकुम्भ  में वह शामिल हुए और वहीं पर मीडिया को अपनी पूरी कथा सुनाई, की आईआईटी ग्रैजुएट होते हुए भी आध्यात्मिक की ओर आ गए हैं। इंटरव्यू में आपने देखा होगा कि उन्होंने एक बहुत ही अहम  बात बताई, जो घरेलू हिंसा की बारे में थी। सभी लोग बात कर रहे हैं कि उन्होंने कैसे अध्यात्म का रास्ता चुना और  कुछ लोग बात कर रहे हैं कि अध्यात्म का रास्ता क्यों जरूरी है। लेकिन अगर आप इसका सोर्स देखने की कोशिश करेंगे कि कैसे एक इंसान की लाइफ बर्बाद हो गई घरेलू हिंसा की वजह से, तो उसे मैं आज अपने इस ब्लॉग में बताने वाला हूं कि घरेलू हिंसा का हम पर या बच्चों के दिमाग पर क्या असर पड़ता है।  तो चलिए शुरू करते हैं ।

आईआईटी बाबा ने इंटरव्यू में क्या कहा ?


अगर हम बताएं इस इंटरव्यू के बारे में, तो अभय सिंह ने साफ तौर पर बोला कि उनका जो विश्वास था रिलेशनशिप के बारे में, की रिलेशनशिप तो  ऐसी ही होती है जिस तरह से उनके मम्मी और पापा के बीच में थी। इसके कारण से उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप कर लिया। उन्होंने बताया कि उन्हें अध्यात्म का रास्ता ज्यादा आकर्षित किया और मुझे रिलेशनशिप में कुछ दिख नहीं रहा था। जब भी शादी की बात आती थी, तो हमें पता ही नहीं था कि इस रिलेशनशिप को आगे कैसे लेकर जाना है,  शादी को आगे कैसे चलाने हैं और रिलेशनशिप में अपनी रिस्पांसिबिलिटी कैसे निभानी  हैं तो मुझे यह सब कुछ  भी पता ही नहीं था क्योंकि मैंने फॅमिली में ऐसा कभी नहीं देखा है। उन्होंने आगे बोला कि एक ऐसे टाइम पर बच्चों को बेसिकली रखा  जाता  है जहां पर जब  भी घरेलू हिंसा होती है, तो  उसे पता भी नहीं होता है कि सही क्या है और गलत क्या है, जिसके कारण उसकी लाइफ चॉइस काफी कम हो जाती है। तो इस पुरे घटना को यहां पर हम अभय सिंह के ही केस से जोड़कर देख सकते हैं।


उन्होंने कहा कि जितना कुछ भी मैं कारण बता रहा हूं उसमें ज्यादातर मेरे ही विचार हैं। इसमें किसी दूसरे का कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि मेरी जो आइडेंटिटी थी, वह अलाइन नहीं कर पा रहा  रहा था जैसे रिलेशनशिप के साथ क्या करना है, क्योंकि घरेलू हिंसा की वजह से और उनके माता-पिता के झगड़े की वजह से उनके रिलेशनशिप को लेकर विश्वास खत्म हो गया था और उसे निभाने से वह डर रहे थे।

घरेलू हिंसा का क्या प्रभाव होता है ?

अभय सिंह का तो यहां पर सिर्फ एक केस हैं। ऐसे ना जाने कितने ही अभय सिंह होंगे, जो इस समय देश भर में ऐसी सिचुएशन फेस  कर रहे होंगे। ऐसे में अगर मैं आपको घरेलू हिंसा का प्रभाव को बताऊं तो बहुत सारे बच्चे इस चीज को नॉर्मल मान लेते हैं कि रिलेशनशिप में तो झगड़े होते रहते हैं। फिजिकल एब्यूज हो या मेंटल एब्यूज हो तो बच्चे आगे जाकर इस चीज को मान लेते हैं कि यह तो नॉर्मल है क्योंकि उन्होंने ऐसा  ही अपने पेरेंट्स से सीखा है।

फिर कई सारे बच्चे को एंजायटी की समस्या होती है। जब कोई तेज आवाज में बात करें तो उससे  बच्चे घबरा जाते हैं और यह चीज उसे बच्चे  के बड़े होने पर भी एक्टिवेट रहती है। आप देखेंगे कि आप जैसे-जैसे बड़े होते हैं तो जरूरी नहीं है कि आप पर कोई चलाएगा ही नहीं या आपको किसी से झगड़ा ही  नहीं होंगे। यह सभी के साथ होता है और इसकी वजह से देखा जाता है कि लोग स्ट्रेस में आ जाते हैं कि यहां पर लड़ाई हो गई तो क्या होगा।

बहुत सारे बच्चे लंबे समय तक अगर घरेलू हिंसा देखते हैं तो इसकी ज्यादा संभावना है कि उसे बच्चों के अंदर ट्रॉमा वाली स्थिति आ जाए। जिससे भविष्य में वह स्ट्रेस में जा सकता है और उसे पैनिक अटैक आ सकती है।अगर बच्चे को इसी तरह के सिचुएशन में रखा गया तो उससे हो सकता है कि वह एक ऐसी सिचुएशन में आ जाए, जिससे उनका ट्रॉमा ट्रिगर हो जाए और अपनी फ्लैशबैक पर वह काम करते रहे।

घरेलू हिंसा को कैसे रोके ?

अगर किसी को ऐसी प्रॉब्लम से जूझना पड़ रहा है तो आप डरिए मत। आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत करें क्योंकि घरेलू हिंसा ऐसी चीज नहीं है जिसे आपको चुपचाप सहते रहना चाहिए।  चाहे आप पर घरेलू हिंसा हो रही है या आपके किसी परिचित के साथ घरेलू हिंसा हो रही है, आप समझ लीजिए कि हमें घरेलू हिंसा को बिल्कुल भी नहीं सहना है। इसके दुष्प्रभाव न सिर्फ पीड़ित पर होता है, बल्कि पूरी सोसाइटी पर भी होता है क्योंकि हम जो देखते हैं वही सीख जाते हैं। तो आप सभी से हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं कि आपकी नजर में कोई भी घरेलू हिंसा की  घटना आती है, तो उसे जरूर रिपोर्ट कीजिएगा और आप खुद से सुनिश्चित कीजिये कि आप अपने स्तर पर घरेलू हिंसा की घटना होने नहीं देंगे।

अभय सिंह का जीवन परिचय


सबसे पहले आपको इनका जीवन परिचय करते हैं। इनका नाम अभय ग्रेवाल है। इन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।  फिर फिलासफी में पढें,  उसके बाद कुशल पेंटिंग भी सीखी। आगे
 प्रोफेशनल फोटोग्राफी भी की, म्यूजिक भी  सीखी। इसके बाद कनाडा में नौकरी करने चले गए और वहां इनकी सैलरी 36 लाख प्रति मास था। मगर वहां भी इनका मन नहीं लगा। दरअसल उन्हें अपनी कलहपूर्ण पारिवारिक माहौल देखकर असहाय और अकेलापन का भाव आ गया था। आपको पता होगा कि बुद्ध को चार दृश्य देखकर ह्रदय परिवर्तन हो गया था। उसके बाद उनके अंदर जो ज्ञान पैदा हुआ तो वैसे ही कुछ परिस्थितियों इस समय iit  बाबा के लाइफ में भी आई हुई है, जिसके कारण यह इस समय बैरागी बन गए हैं।

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अभय सिंह बाबा क्यों वायरल हो रहे हैं ?

अब आपको बताते हैं की बाबा तो बहुत हैं लेकिन अभय सिंह बाबा बनने के बाद इतना क्यों वायरल हो रहे हैं ?
दरअसल हम सभी चूहे की दौड़ लगा रहे हैं जिसमें हम सोचते रहते हैं की पढ़ाई पूरी करने के बाद खूब पैसा कमाना है, खूब सारी छुट्टियां मनानी है, बडा घर खरीदना है, नई मर्सिडीज़ लेनी है, महँगी शादी करनी है और उसके बाद बच्चे पैदा करने हैं। तो हम सभी इसी कंपटीशन में आगे बढ़ते जा रहे हैं। मगर जब हमें सब कुछ मिल जाता है और तब हम एक बार रुक कर सोचें तो हमें लगने लगता है कि हमें दुनिया की सारी महगी से महगी चीज ज्यादा देर तक नही खुश रख पाते हैं। और कुल मिलाकर उम्र तो बीती जा रही है अगर सारे सुख साधन मिल भी गए तो भी यह कुछ ही समय के लिए है और उसके खोने की हमेशा चिंता बानी रहती है। इसलिए जो सुख का साधन है वही दुख का कारण बन जाता है । यहां पर आयआयटी बाबा को आप देख रहे हैं जिन्हें अब तक जो सफलता मिली है, उसमें से बहुत कुछ हम लोग पाने का सपना देखते रहते हैं मगर इन्होंने वो सब कुछ पाकर उसे त्याग दिया है और वैरागी बन गए है।

क्या अभय सिंह पहली आयआयटीन बाबा हैं ?

आपको बता दें की आयआयटी पास आउट अभय सिंह पहले इंजीनियर साधु नहीं है बल्कि इनसे पहले भी बहुत से आईआईटीएन ने बाद में सन्यास का जीवन व्यतीत किया है , इन्होने अपने करियर की असीम उँचाईओं को छूकर भी वैरागी का जीवन अपना लिया।

इनमें सबसे पहला नाम गौरांग दास का आता है। आईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले गौरांग दास ने इंटरनेशनल सोसाइटी का कृष्ण कॉन्शसनेस इस्कॉन के साथ जुड़कर आध्यात्मिकता का रास्ता अपनाया। वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं और उनके वीडियो उन्हें एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करते हैं गौरव दास ने कई आध्यात्मिक पुस्तक के भी लिखी हुई है।

अभय सिंह आईआईटी मुंबई से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया, जो हाल ही में चर्चा आए। उन्होंने कनाडा में अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़ संन्यास ले लिया और अध्यात्म की राह पर चल पड़े। उनकी कहानी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा और वे आईआईटी बाबा के नाम से पहचाने जाने लगा।

आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले आचार्य प्रशांत ने भी आध्यात्मिकता का रास्ता चुना। उन्होंने अपने कॉर्पोरेट करियर को त्याग कर आध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया। आज वह एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक मार्गदर्शक है और उन्होंने आध्यात्म पर कई पुस्तकें लिखी है।

स्वामी विद्यानाथ नन्द
आईआईटी कानपुर से स्नातक और यूसीएलए से पीएचडी करने वाले स्वामी विद्यनाथ नंद ने रामकृष्ण मठ से जुड़कर अपने जीवन को आध्यात्मिकता के लिए समर्पित किया। वेदांत और आध्यात्मिक सेवा में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया और ज्ञान की प्रसार में अग्रणी रहे।



 





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