GST कौंसिल मीटिंग में पॉपकॉर्न को लेकर हुआ विवाद ,अब चुकाने होंगे स्वादानुसार कर

परिचय

दोस्तों कल जीएसटी काउंसिल की मीटिंग हुई थी और आप सभी जानते हैं कि जीएसटी काउंसिल सबसे बड़ी अथॉरिटी है जिसके द्वारा यह निर्णय लिया जाता है कि भारत में कितना प्रतिशत जीएसटी किस चीज पर लगेगा। मैं आपको बता दूं कि यह 55वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग हुई थी और इसमें बहुत सारे बदलाव किए गए हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण चीजों पर विचार विमर्श भी हुए हैं और उन सभी को आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कौन सी वस्तु महंगी और कौन सी वस्तु सस्ती हुई। तो इस ब्लॉग में आपको बहुत कुछ जानने और समझने को मिलेगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं ।

  GST कौंसिल क्या है ?

तो चलिए शुरुआत करते हैं और सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि जीएसटी काउंसिल है क्या? आप सभी ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स के बारे में जरूर सुना होगा। यह भारत में एक संवैधानिक बॉडी है। यह आपके एग्जाम में पूछा जा सकता है इसलिए इसे आपको ध्यान में रखना है कि हमारे संविधान में 2017 में संशोधन कर जीएसटी को आर्टिकल 271(ए) को जोड़कर बनाया गया था। इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करता है जो इस समय निर्मला सीतारमण है। इसके अलावा आप ध्यान में रखिएगा कि भारत के अंदर के सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी जीएसटी काउंसिल में शामिल होते हैं। इसका सेक्रेटेरिएट ऑफिस नई दिल्ली में है।

यहां पर आप एक बात और ध्यान रखिएगा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जीएसटी काउंसिल एक रेकमेंडटरी बॉडी है जो राज्यों पर अपना निर्णय थोप नहीं जा सकता की आपको ऐसा ही करना है। लेकिन इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि जीएसटी काउंसिल जो भी निर्णय लेता है उसे सभी राज्यों में लागू कर दिया जाता है और उनके द्वारा जितनी भी महत्वपूर्ण चीजें हैं जैसे पॉलिसी कैसी होगी, टैक्स का थ्रेसहोल्ड लिमिट क्या होगी, वह सब कुछ इसमें डिसाइड किया जाता है।

  निर्णय कैसे लिए जाते हैं ?

अब आपको बताते हैं कि जीएसटी काउंसिल के अंदर निर्णय कैसे लिया जाता है? इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि अगर काउंसिल को एक साथ बैठना है तो उसके लिए कम से कम 50% सदस्यों को उपस्थित रहना जरूरी होता है। अब इसमें अगर किसी भी प्रस्ताव को पास करना है जैसे मान लो चाय पर जीएसटी को बढ़ाकर 5 से 18 % किया जाएगा तो यहां पर निर्णय तीन चौथाई बहुमत से लिया जाता है। मतलब इसके लिए 100 में से 75 लोगों की सहमति जरूरी होती है तब वह पारित हो पता है। इसके लिए केंद्रीय सरकार के पास एक तिहाई और देश के सभी राज्यों के पास दो तिहाई वोट होते हैं। तो जाहिर सी बात है कि यहां पर केंद्र सरकार अकेले कोई भी फैसला नहीं ले सकती जब तक राज्य उसकी सहमति न दे दे। इसके लिए समय-समय पर जीएसटी काउंसिल की बैठक होती रहती है और इस बार यह 21 दिसंबर 2024 को हुई है।

 मीटिंग में क्या-क्या बात हुई ?

अब हम जानते हैं इसके अंदर मीटिंग में क्या-क्या हुआ है? यह 2017 से अब तक की 55वीं  जीएसटी काउंसिल की मीटिंग थी। इस बार मीटिंग राजस्थान के जैसलमेर में हुई है। जाहिर सी बात है कि इसकी अध्यक्षता निर्मला सीतारमन जी की है।
अब हम आपको बताते हैं कि इसके अंदर कौन-कौन से बदलाव हुए हैं तो उसको लेकर चर्चा हो रही है। सबसे पहले यहां पर इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर बात हो रही है जिसमें सरकार इसको प्रमोट करना चाहती है और जिसके कारण इलेक्ट्रिक व्हीकल पर केवल पांच प्रतिशत ही जीएसटी लेने का फैसला किया गया है। नॉर्मली आपने देखा होगा कि जो बड़ी-बड़ी गाड़ियां होती है जिसमें SUV होते हैं, उन पर 28% जीएसटी के अलावा भी अन्य प्रकार का टैक्स लगता है। तो इस तरह इन गाड़ियों पर 40% टैक्स पहुंच जाता है। लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सरकार सिर्फ 5% ही टैक्स लगाना चाहती है। इसी के साथ-साथ यह भी चर्चा हुई की सेकंड हैंड गाड़ियों पर कितना टैक्स लगेगा? मतलब जहां पर पहले से यूज्ड गाडी  को  अगर कोई खरीद रहा है तो उसके लिए यहां पर दो चीज बताई जा रही है। इसमें पहले तो यह कि अगर एक व्यक्ति दूसरे किसी व्यक्ति को अपनी गाड़ी उसके प्राइवेट यूज़ के लिए  बेच रहा है  उसे उसपर  कोई भी जीएसटी नहीं लगेगा। मान  लो  कोई 10 लाख की गाड़ी को 5 लाख में ही बेच  रहा है तो आप उसे सिर्फ ₹500000 देकर गाड़ी ले सकते हैं अगर वह उसके प्राइवेट उसे के लिए है तो इस पर तब कोई जीएसटी नहीं लगेगा। लेकिन मान लीजिए अगर वह गाड़ी कमर्शियल परपज के लिए ले रहा है तो सेकंड हैंड गाड़ी पर भी 18% जीएसटी लगेगा जो पहले 12% ही लगता था और यह सभी गाड़ियों पर है चाहे वह इलेक्ट्रिक हो, डीजल हो या पेट्रोल हो।

यहां पर एक चीज और है कि जिन कमर्शियल गाड़ियों पर 18% जीएसटी लगेगा, वह कितनी राशि पर लगेगा? जैसे किसी ने  नई 10 लाख की गाड़ी खरीदी  थी और बाद में 5 लाख में बेच दिया। तो क्या उसे जीएसटी 10 लाख पर देनी होगी? नहीं। यहां पर पहले ओनर ने जितना पैसा देकर पहली बार गाड़ी को जितने में खरीदा था और जितने में उसे बेचा है , तो उसके अंतर पर 18% जीएसटी दूसरे खरीददार को देना पड़ेगा। तो यहां पर 10 लाख में 5 लाख घटाने पर 5 बचती  है। तो इसी राशि पर उसे 18% जीएसटी भी देनी पड़ेगी उस दूसरे खरीदार को ।

दूसरा यहां पर पॉपकॉर्न को लेकर भी काफी सोशल मीडिया पर कंट्रोवर्सी होने लगी है जिसमें मीम्स  बनाकर हर कोई ट्रोल  करने में लगा हुआ है। पॉपकॉर्न भी आजकल काफी फैंसी  हो गया है। पहले जब भी हम लोग सिनेमा हॉल जाया करते थे तो यह  सिर्फ साल्टी पॉपकॉर्न हीं मिलता था। लेकिन आजकल इसमें भी बहुत सारे फ्लेवर आ गए हैं। इसमें कैरेमल वाला पॉपकॉर्न,साल्ट वाला पॉपकॉर्न, चीज वाला पॉपकॉर्न इत्यादि। तो बहुत सारे पॉपकॉर्न के वैरायटी मार्केट में आ गए हैं। तो यहां पर जीएसटी काउंसिल के द्वारा स्पष्ट किया गया है कि पॉपकॉर्न के ऊपर जो भी रेट है अगर पॉपकॉर्न पर सिर्फ साल्ट और मसाले लगे हैं तो उस पर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा क्योंकि वह नमकीन की कैटेगरी में आएगा लेकिन जब इस पॉपकॉर्न को आप पैक करके खरीदेंगे  तो उस पर 12% जीएसटी लगेगा लेकिन आजकल जो अलग-अलग फ्लेवर आने लगे हैं पॉपकॉर्न में जिसमें कैरेमल भी है जिस पर 18% जीएसटी लगेगा। तो पॉपकॉर्न पर तीन प्रकार से जीएसटी अबसे लगने वाला है।इसको लेकर काफी विवाद भी होता नजर आया। जैसे कांग्रेस के प्रवक्ता जय राम रमेश इसे पूर्णतः  अविश्वसनीय बताया कि ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन जब जीएसटी काउंसिल में यह  फैसला हो गया है  तो अब से पॉपकॉर्न पर भी तीन प्रकार के टैक्स लगेंगे।

फिर यहां पर कुछ दूसरे चीजों पर जो जीएसटी है उसे भी बढ़ाया गया है। जैसे पीडीएस सिस्टम में जो फोर्टीफाइड राइस होता है तो उस पर भी पहले जीएसटी 18% लगता था लेकिन अब से उसपर सिर्फ 12% ही जीएसटी लगेगा। इसके अलावा आजकल एसीसी ब्लॉक से घर बन रहे हैं जिसमें 50% फ्लाई ऐश होता है। तो इस पर अब से 12% जीएसटी लगेगा। इसके अलावा अगर ब्लैक पेपर्स और रेसीन को कोई किसान बेचता है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा।

इसके अलावा एक और चीज को लेकर चर्चा होती रहती है की जो बैंक के द्वारा चार्ज लगाए जाते हैं उस पर सरकार कैसे जीएसटी लेती है? जैसे आपने लोन ले लिया और उसका पेमेंट नहीं कर पाए हैं एक महीना या दो महीना के लिए। ऐसे में बैंक आप पर चार्ज लगाता  है। ऐसे में एक तो बैंक आप पर पेनल्टी लगाती  है और दूसरी तरफ सरकार भी आपसे जीएसटी वसूलती  हैं। ऐसे में स्पष्ट किया गया है कि इस बार से जीएसटी का कोई चार्ज नहीं लगेगा। मतलब बैंक या एनबीएफसी से जो लोन लिया है अगर आप पर बैंक पेनल्टी लगाती  है तो उस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। ऐसा बोला गया है।
इसके अलावा कंपनसेशन सेस को लेकर भी काफी चर्चा होती है कि आपको याद होगा जब से जीएसटी आया तब से सरकार कंपनसेशन सेस  लगाया है। यहां पर सेस  क्या है कि जो राज्य घाटे में जा रहे थे तो उनकी क्षतिपूर्ति  किया जा सके। इसके लिए कंपनसेशन सेस  लगाया जाता है। लेकिन अभी तक  उसके ऊपर कोई फैसला नहीं हुआ है। यहां पर सभी मंत्री उसको लेकर काम कर रहे हैं और आगे चलकर यह डिसाइड होगा कि इसे  लगाया जाएगा अथवा नहीं।

इसके अलावा विज्ञान प्रौद्योगिकी में जीन थेरेपी बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें बहुत से रोगों का उपचार किया जाता  है। तो जीन थेरेपी पर कोई भी टैक्स नहीं लगाने की बात की गई है। इसके अलावा सतह  से हवा में मार करने वाली मिसाइलों  पर भी कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
लेकिन एक बड़ा मुद्दा है एविएशन टर्बाइन फ्यूल। दरअसल क्या है कि जब 2017 में जीएसटी आया था तो उस समय पर पांच ऐसे प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था जिन में क्रूड ऑयल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ यानी( एविएशन टर्बाइन फ्यूल )और नेचुरल गैस है।  तो यह प्रोडक्ट जीएसटी के अंदर नहीं आते हैं ।इसमें क्या होता है कि यहां पर सेंट्रल गवर्नमेंट एक्साइज ड्यूटी लगाती  है और स्टेट गवर्नमेंट वैट  लगाती  है। लेकिन इसको लेकर सरकार की आलोचना भी होती है कि अगर इसे अगर जीएसटी में लेकर आ जाएं तो उससे  पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो जाएंगे। लेकिन चर्चा यह भी थी कि वायुयान में जो एविएशन टर्बाइन फ्यूल होते हैं क्या उन्हें जीएसटी के अंदर लाना चाहिए? क्योंकि बहुत से राज्य इसको लाने के समर्थक थे तो कई सारे राज्य इसको जीएसटी के अंदर लाने के विरोधी थे। क्योंकि जाहिर सी बात है कि इससे उन्हें कम राजस्व मिलता। इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल को तो पेट्रोलियम प्रोडक्ट के अंदर आना चाहिए। तो जब हम डीजल पेट्रोल को जीएसटी के दायरे से बाहर कर रखे हैं तो इसको क्यों नहीं बाहर कर रहे हैं? इसलिए इसे अभी  बाहर ही रखा जाएगा और  वह अभी  जीएसटी में नहीं आएगा। तो यह सभी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं जीएसटी में।

लेकिन यहां पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी थे जिनको लेकर लगता था की चर्चा होगी और कोई निर्णय निकल कर आएगा। लेकिन अभी उन पर फैसला नहीं आ सका है जैसे कि कंस्ट्रक्शन में आपने देखा होगा कि जो बिल्डिंग बनती है तो उसके पदार्थ पर किस तरह  टैक्सेशन हो तो उसको लेकर कोई फैसला अभी नहीं लिया गया है। इसके अलावा एक और बहुत बड़ा मुद्दा था कैलेमिटी सेस । कैलेमिटी सेस  का मतलब है किसी राज्य में किसी जगह पर आपदा आ जाती है,  कहीं सुनामी या  कहीं  बाढ़ आ गया बस कला हो गया तो उससे  बहुत हानि हो जाता है। ऐसे में इन आपदाओं से प्रभावित लोगों की मदद कैसे की जाए तो यहां पर कुछ राज्यों का कहना था कि हम चाहे तो कैलेमिटी सेस  लगा सकते हैं ताकि उसका उपयोग राहत सामग्री बांटने में किया जा सके। जैसे कि आंध्र प्रदेश की ओर से सबसे पहले इसकी मांग उठी थी क्योंकि वहां काफी बाढ़  आया था हाल ही में। इसलिए वह 1% कैलेमिटी सेस  लगाना चाहते थे। तो इसको लेकर उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्रियों का ग्रुप बनाया गया है जो बताएंगे कि इस पर क्या करना चाहिए। तो अभी कैलेमिटी सेस को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

एक और जो महत्वपूर्ण है वह है कि क्विक  कमर्स इंडस्ट्री ,जिसमें चाहे जोमैटो, स्विग्गी या अमेजॉन इत्यादि हैं।  तो यहां पर जो डिलीवरी है क्विक कॉमर्स सर्विसेज हैं  क्या उसे पर जीएसटी कम करना चाहिए ?तो उसको लेकर बोला गया कि हम अभी से इसे डिसाइड नहीं कर सकते हैं। यह अगले वाले जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में डिसाइड किया जाएगा।

अब एक और चर्चा जिस पर चल रही थी वह है लाइफ इंश्योरेंस को लेकर। आपने देखा होगा कि कांग्रेस और उनके बहुत सारे जो  विपक्षी दल हैं, वह कह रहे थे कि हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी एक टेक्स टेररिज्म है। सरकार कैसे हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स ले सकती है? इसलिए उसे हटाने की मांग को रही थी। रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने भी कहा था इसको लेकर कि हम चर्चा करेंगे कि हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी ना लगाया जाए। तो अभी इसको लेकर निर्णय नहीं लिया गया है ।फिर से इसको लेकर टाल  दिया गया है। पिछले मीटिंग में भी चर्चा थी कि इस पर कोई ठोस निर्णय आएगा मगर अब तक कोई निर्णय नहीं आ पाया है क्योंकि आपको बता दूं इस समय हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस दोनों पर ही 18% जीएसटी लगता है। तो इस कम करने की मांग की जा रही है क्योंकि यह आज के समय पर बहुत जरूरी हो गया है।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको 55th जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में क्या-क्या बातें हुई आपको समझ आई होगी। आपको हमारा पोस्ट कैसा लगा हमें जरूर बताइएगा कमेंट में और अपनी कोई क्वेरी या सजेशन हमें कॉन्टैक्ट फॉर्म भरकर शेयर जरूर करें।

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