बीजेपी को मिला 48 सीट और 45.90% वोट शेयर
Delhi Assembly Result: दोस्तों 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीट में से 62 सीट आम आदमी को मिला था। लेकिन बीजेपी को तब सिर्फ 8 सीट और कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली थी। इससे पहले 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में तो AAP को 67 सीट मिल गई थी। उस समय पर आम आदमी पार्टी बदलाव लाने वाली पार्टी मानी जा रही थी। लोग मानकर चल रहे थे कि अब दिल्ली की राजनीति की दिशा बदलने वाली है।
इतना ही नहीं, 2015 में आम आदमी पार्टी को 54.3% जबकि भाजपा को 32.02 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अगले चुनाव में 2020 में आम आदमी पार्टी को 53.6% और बीजेपी को 38.6% वोट मिला था। इसके चलते कोई सोचा भी नहीं होगा कि आम आदमी पार्टी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव ही हार जाएगी। इस बार बीजेपी को कुल मिलाकर 50% वोट मिला है, जबकि आम आदमी पार्टी को 45% वोट मिला है। तो अबकी बार दिल्ली में बीजेपी सरकार 27 साल बाद आ रही है।
दिल्ली का राजनीतिक इतिहास
देश का पहला लोकसभा चुनाव 1951 में हुआ था और 1952 में दिल्ली विधानसभा बनती है। मगर वर्ष 1956 से 1993 तक दिल्ली को सीर्फ संघ शासित प्रदेश ही रखा जाता है, जिसमें कोई विधानसभा नहीं होती है। लेकिन बाद में लोग दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते हैं। या फिर वह यह मांग करते हैं कि दिल्ली में कम से कम असेंबली तो होनी ही चाहिए।
इसके बाद 1991 में दिल्ली में नरसिम्हा राव के कार्यकाल में असेंबली का गठन कर दिया जाता है, जिसमें कुल 70 सीट होती है। तब दिल्ली सरकार को लैंड और लॉ-आर्डर नहीं दिया गया था। बल्कि तब यह केंद्र सरकार के पास दिया गया और यह व्यवस्था अब तक चलती आ रही है। इससे पहले वर्ष 1993 में बीजेपी को आज से 27 साल पहले दिल्ली चुनाव में जीत मिली थी, जिसमें उन्हें 49 सीट मिली थी और कांग्रेस को सिर्फ 14 सीट मिली थी। उसके बाद 2025 में फिर से यह पावर में आ रही है।
आम आदमी पार्टी के हारने का क्या कारण है ?
किसी भी पार्टी का अगर चेहरा अकेला एक आदमी ही इंसान होता है और जब उसकी इमेज खराब होने लगती है, तो उससे पूरा संगठन हिल जाता है। आपको पता होगा कि शुरू से ही अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के इकलौता चेहरा हैं। इसलिए जब वह आईआरएस की जॉब छोड़कर पॉलिटिशियन बने थे, तो उनसे लोगों को बहुत उम्मीद थी और उनका चाल- चलन से लेकर पहनावा सभी कुछ आम आदमी से बहुत करीब था क्यूंकि जिस तरह से वह मफलर पहनकर लोगों के बीच चले जाते थे और शर्ट में कलम बांधकर निकल जाते थे, तो उनकी यह स्टाइल लोगों को बहुत अच्छा लगता था।
लेकिन उनकी साफ- सुथरी छवि को पिछले एक-दो वर्षों में बहुत नुकसान हुआ है, जिसमें चाहे शराब निति घोटाला हो या शीशमहल हो या बाद में वह जेल भी गए थे। तो इससे उनका इमेज ख़राब हुआ है या आम आदमी के हारने की बड़ी वजह माना जा रहा है।
BJP को कैसे फायदा हुआ ?
इस चुनाव में एकजूट विपक्ष नहीं था। लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया अलायंस का अच्छा परफॉर्मेंस था जिसकी वजह से भाजपा सिर्फ 240 सीट पर ही सिमट गई थी। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों साथ लड़े थे। हालांकि तब भी उन्हें दिल्ली के 7 सीटों में से कोई सीट पर जीत नहीं मिली थी लेकिन इस गठबंधन को वह आगे भी ले जाते, तो उसका उन्हें कुछ फायदा जरूर मिल सकता था।
लेकिन हरियाणा चुनाव में ये अलग हो गए और एक दूसरे पर हमलावर हो गए थें । ऐसे में यह बात लोगों को अच्छा नहीं लगा कि यह दोनों 6 महीने पहले मिलकर जहां चुनाव लड़े थे, वह अब आरोप- प्रत्यारोप कर रहे हैं। तो यही बात देखने को मिला कि यह पहले तो हरियाणा में अलग हुए, उसके बाद दिल्ली में भी साथ नहीं आए। ऐसे में पूरा विपक्ष बँट गया था। यहां पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम इत्यादि सभी विपक्षी दल अलग होकर चुनाव लड़ रहे थे, जिससे वोट भी बँट गया था और उसका फायदा BJP को हो गया।
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