परिचय
Canada PM election 2025: दोस्तों कनाडा के प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। कनाडा में वर्तमान सरकार का अभी भी एक साल का कार्यकाल शेष है। लिबरल पार्टी का अगर सरकार आगे भी बरकरार रहती है और बाकी सभी पार्टियां उनका समर्थन देती है, तो ऐसे में लिबरल पार्टी को अपना अगला नेता चुनना पड़ेगा। ऐसे में इस समय उनके पास तो विकल्प है । एक तो अंतरिम लीडर को चुन लिया जाये या दूसरा विकल्प है कि फिर से चुनाव कराया जाए पार्टी के अंदर और उससे तय करें कि अगला लीडर किसको बनाना है। मगर जब तक कनाडा में नया प्रधानमंत्री को नहीं चुन लिया जाता है, तब तक जस्टिन ट्रूडो ही प्रधानमंत्री रहेंगे। ऐसे में कनाडा के अंदर जिन व्यक्तियों का पीएम पद के लिए नाम आ रहा है, उनमें एक भारतीय मूल के शख्स का भी नाम आ रहा है। अब सवाल है कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा आप सोचिए कि आज से महीने भर पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो निज्जर हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाते रहते थें और कनाडा में हिंदू मंदिरों को लगातार टारगेट किया जा रहा था। लेकिन इस समय कनाडा में भारतीय मूल के शख्स का प्रधानमंत्री बनने की संभावना 25% तक है। यह सब कैसे हो रहा है उसे आपको इस ब्लॉग में पूरा बताएंगे। चलिए शुरू करते हैं।

अभी हुआ क्या है ?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि यहां पर आखिर हुआ क्या है। 6 जनवरी 2025 को कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बता दिया कि वह अब से कनाडा के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। लेकिन जब तक कनाडा के प्रधानमंत्री को चुन नहीं लिया जाता है, तबतक वो ही प्रधानमंत्री बने रहेंगे। मगर कनाडा में नए लीडर को चुनना मुश्किल हो जाता है, जिसके बारे में आपको आगे बताऊंगा लेकिन कनाडा की जो निचली सदन है, उसे हाउस ऑफ कॉमन्स कहते हैं जैसे भारत में लोकसभा है। फिर जो ऊपरी सदन है उसे सीनेट कहते हैं, जैसे भारत में राज्यसभा है। ऐसे में कनाडा के अंदर जस्टिन ट्रूडो के लिबरल पार्टी के पास 153 सीट है जबकि वहां के सदन में बहुमत के लिए 170 सीट चाहिए होती है क्योंकि वहां के हाउस ऑफ कॉमेंस में टोटल सीट 338 है। इसलिए जब आपको 170 सीट चाहिए, तो जाहिर सी बात है कि उनकी पार्टी के पास इस समय यह नंबर नहीं है। अब तक खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की पार्टी, जस्टिन ट्रूडो कि लिबरल पार्टी को समर्थन देती रही है, जिससे वह पावर में रहे हैं। मगर अब जगमीत सिंह ने समर्थन वापस खींच लिया है।
इसके अलावा जो कनाडा का जो सबसे बड़ा विपक्षी दल है, वह कंजरवेटिव पार्टी है। इसके बारे में बोला जा रहा है कि यह कनाडा के अंदर अगला चुनाव जीतने वाली है क्यूंकि जितने भी पोल कराये गए उनमें बोला जा रहा है की कंजरवेटिव पार्टी के जो इस समय लीडर पियरे पोइलिवर हैं , यही कनाडा में अगला चुनाव जीतेंगे और प्रधानमंत्री बनेंगे। ऐसे में कनाडा में बात हो रही थी कि जस्टिन टुडे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए, जिससे यहां पर नया चुनाव फिर से कराया जाए। वैसे तो जस्टिन ट्रुडो का कार्यकाल अक्टूबर 2025 तक पूरा होगा। इसलिए अक्टूबर में नया चुनाव होना था, मगर उससे पहले ही ट्रुडो इस्तीफा दे चुके हैं। लेकिन वह तब तक प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे जब तक वहां नया लीडर अप्पॉइंट नहीं हो जाता।
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कनाडा का प्रधानमंत्री कैसे चुना जाता है ?
भारत के अंदर जब लोकसभा चुनाव होता है तो यहां पर नया नेता कैसे चुना था ? कि मान लीजिए बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में 240 सीट आए थे। तो बीजेपी के सभी सांसद बैठकर अपने नेता चुन लेते हैं। इस बार भी नरेंद्र मोदी को फिर से बोला गया कि आप ही हमारे पीएम है। तो हमारे यहां जो भी संसद में चुनकर आते हैं उन्हीं के द्वारा यह निर्णय लिया जाता है कि हमारे देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। लेकिन कनाडा में प्रधानमंत्री का चुनाव अलग तरह से होता है। कनाडा में जिस तरह ट्रुडो की पार्टी के साथ इस समय 153 सांसद हैं लेकिन वहां पर वे यह निर्णय नहीं ले सकते कि उनके नेता कौन होगा। इसके लिए वहां पर एक स्पेशल लीडरशिप कन्वेंशन है, जो एक साथ बैठता है और उसमें तय होता है कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा और यह तय करने में काफी समय लगता है। जैसे मान लीजिए कि भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ता है, उन कार्यकर्ताओं में ऐसे लोग भी होंगे जो संसद के इस समय सदस्य नहीं है, तो यह लोग के पास भी कनाडा में अपने प्रधानमंत्री के चुनने की शक्ति होती है। तो इस तरह से कनाडा का पूरा सिस्टम चलता है। अगर इसका उदाहरण बताउं तो जस्टिन ट्रूडो को जब पहली बार 2013 में लीडर चुना गया, तो ऐसा करने में उन्हें 5 महीना लग गया था। तो वहां बहुत समय लगता है अपने नेता को चुनने में। इससे लगता है कि इस बार भी कनाडा के अंदर यह कितना लंबा समय लगेगा, उसको लेकर कुछ भी नहीं कह सकते।
क्या जल्दी ही चुनाव कराया जायेगा ?
अगर बात करें कि कनाडा के अंदर अभी चुनाव हो सकता है, तो देखिये वैसे तो कनाडा में चुनाव अक्टूबर में होगा। मगर विपक्षी दल यह सोच रही थी कि 27 जनवरी के बाद जब संसद बैठेगी, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाकर जस्टिन ट्रुडो को हटा देंगे और फिर से चुनाव करवाएंगे। मगर इस समय जस्टिन ट्रुडो ने ऐलान किया है कि वहां 24 मार्च से पहले नई संसद नहीं मिल सकती क्योंकि सारी चीज सरकार ही चलाती हैं। भारत में भी यही देखने को मिलता है कि सरकार ही यह निर्णय लेती है कि कब से नया सत्र शुरू करना है जैसे शीतकालीन सत्र, बजट सत्र और उसके बाद राष्ट्रपति उसकी घोषणा कर देते हैं। लेकिन कनाडा में सरकार पूरी तरह से इन चीजों को कंट्रोल करती है। ऐसे में यही बोला जा रहा है कि मइ के पहले कनाडा में चुनाव नहीं हो पाएगा, क्योंकि अगर मार्च तक ट्रुडो की पार्टी हटती है, तो नया चुनाव कराने में कम से कम मई तो लग ही जाएंगे।
नया नेता आने से क्या फायदा होगा ?
अगर आप यह सोच रहे होंगे की लिबरल पार्टी से जो भी प्रधानमंत्री बनेंगे, क्या उनमें इतनी क्षमता होगी की वह अपनी पार्टी को अगले चुनाव में जीत दिला पाएं ? तो देखिये ऐसा होना तो बहुत कठिन नजर आ रहा है क्योंकि यहां पर कंजरवेटिव पार्टी के लीडर बहुत आगे दिखाई दे रहे हैं जो पल में नतीजे सामने आते हैं और उसको देखकर यही लगता है कि अगले चुनाव में लूडो की लिबरल पार्टी जीत नहीं पाएगी।
अगला प्रधानमंत्री कनाडा का कौन बनेगा ?
अब आपको बताते हैं कि लेब्रल पार्टी में जुस्टीन ट्रुडो का जगह किसको मिल सकता है। इनमें जिनके नाम सामने आ रहे हैं उनमें इनोवेशन मिनिस्टर फ्रेंककोइस फिलिप, ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर अनीता आनंद इनके बारे में आगे बताने वाला हूं, विदेश मंत्री मेंलेनी जोली, पूर्व वित्त मंत्री कृश्टिया फ्रीलैंड और माय कॉर्नइ के नाम आ रहे हैं। भारत में भी यह नियम है कि अगर आप प्रधानमंत्री चुने जाते हैं, तो आपको 6 महीने के अंदर संसद की सदस्यता लेनी पड़ती है। इसी तरह कनाडा में भी जब कोई शक्स संसद के बाहर से पीएम बनता है, तो उसे भी संसद का सदस्य बनना जरूरी हो जाता है।
अनीता आनंद कौन हैं ?
अगर अनीता आनंद की बात करें, तो वह इस समय 57 वर्ष की है और इस समय कनाडा में भारतीय मूल के राजनीतिज्ञ हैं। उनकी माता जी तमिलनाडु से और पिताजी पंजाब से आते हैं। यह लोग कनाडा पलायन कर गए और अनीता आनंद का जन्म कनाडा के नावो स्क्रोटया में हुआ था, जो कनाडा के पूर्व में एक आइलैंड है। वहीं पर अनीता का जन्म और पालन पोषण भी हुआ। इस समय वह कनाडा के परिवहन मंत्री के पद पर हैं। इससे पहले भी अनीता कनाडा के कई महत्वपूर्ण पद को संभाल चुकी है। अनीता आनंद की दो बहने भी हैं गीता और सोनिया। वह 1985 से ओंटारियो कनाडा की राजधानी में रहने लगती है और 1995 में जॉन से शादी कर लेती है। उनके चार बच्चे हैं। राजनीति में आने से पहले अनीता का एकेडमिक केंद्र करियर शानदार था। उन्होंने कई विषयों से स्नातक और स्नातकोत्तर की हुई है ।
मगर हमारे लिए उनके पॉलीटिकल करियर को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है मतलब उन्होंने कनाडा में किन-किन पदों पर रहकर लोगों की सेवा की है, उसे जानना जरूरी है क्योंकि इसी से तय किया जाएगा कि वह कनाडा में पीएम बनने लायक है अथवा नहीं। कोविड -19 के समय पर वह मिनिस्टर ऑफ पब्लिक सर्विसेज एण्ड प्रोक्योरमेंट थी। उस समय उनकी जिम्मेदारी थी कि लोगों को वैक्सीन दिया जाए, जिससे वह सुरक्षित रह सके। उस समय उनके स्टैंड के लिए उनकी काफी तारीफ की जाती है। उसके बाद उन्हें कनाडा में 2021 में रक्षा मंत्री का पद मिलता है, जिसमें बहुत सारे दायित्व को यह संभालती हैं। बोला जाता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में उनके द्वारा यूक्रेन की काफी मदद की गई और कनाडा फोर्स को भी अधिक ताकतवर बनाया गया, जिसमें उन्होंने मिलिट्री रिपोर्ट्स लेकर आया। जैसे कनाडा के आर्म्ड फोर्स में यौंन दुराचार के काफी मामले आ रहे थें। इस पर इन्होंने सुधार करने की कोशिश की थी। आगे चलकर उन्हें ट्रेजरी बोर्ड में भी रोल मिलता है जिसे हम लोग फाइनेंस मिनिस्ट्री कहते हैं।
इस तरह बहुत सारी चीजों में कनाडा के अंदर अनीता आनंद का रोल रहा है। अब हम सबको देखना दिलचस्प होगा कि वह कनाडा के पीएम बन पाती है या नहीं। अगर हम कनाडा की पॉलीटिकल हिस्ट्री देखें, तो अनीता आनंद पहले हिंदू है जो सांसद गई। अब आपको क्या लगता है कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए, हमें जरूर बताइएगा।