अतुल सुभाष के आरोपियों को जमानत मिलने से गुस्से में लोग, कहा कानून में समानता नहीं

परिचय

 दोस्तों कि हाल ही में अतुल सुभाष का केस आया था। उसमें पत्नी की प्रताडना से तंग आकर उसने खुदकुशी कर ली थी। इस पर अब भी पूरे देश की नज़रें टिकी हुई है और लोग इसको लेकर सोशल मीडिया में अपील कर रहे थे, कि अतुल सुभाष को न्याय मिलना चाहिए।उसके बाद पुलिस निकिता और उसके फैमिली को अरेस्ट कर लेती है।लेकिन अब इस केस में एक मोङ  आया है, जिसमें बताया जा रहा है कि बेंगलुरु में कोर्ट के द्वारा अतुल सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वालों को बेल मिल गया है। आज इस लेख में आपको हम बताएंगे कि किस आधार पर उन्हें बल मिला है आगे क्या होगा और कानून क्या कहता है। यह सारी बातें आज आपको बताएंगे| तो चलिए शुरू करते हैं।

मामला क्या है ?

सबसे पहले आपको बताते हैं कि यहां पर आखिर हुआ क्या है। यह पूरी वारदात कर्नाटक के अंदर बेंगलुरु की है। यहां पर अतुल सुभाष ने खुदकुशी कर ली थी। वह वहीं पर नौकरी करते थे। इसके आरोप में उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, इनकी मां और उनके भाई तीनों को पुलिस पकड़ कर ले जाती है लेकिन अब उन्हें बिल दे दिया गया है। इसके अलावा अतुल सुभाष ने कानपुर के अंदर जज पर भी आरोप लगाया था कि उनका रवैया भी पक्षपात पूर्ण है। अतुल सुभाष मरने से पहले एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर  की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी किस तरह से उनका शोषण कर रही है। इसके बाद निकिता सिंघानिया फरार चल रही थी। इसकी वजह से बेंगलुरु पुलिस केस दर्ज करती है और अंततः निकिता को हरियाणा के गुरुग्राम से अरेस्ट कर लेती है। उसके बाद उनकी मां और भाई को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से पकड़ती है। इसके बाद इन सभी को बेंगलुरु कोर्ट में पेश किया गया और उसके बाद उन्हें ज्यूडिशल कस्टडी में भेज दिया गया। अभी तक इस केस में तीन लोग दोषी पाए गए हैं जिनमें एक निकिता सिंघानिया, दूसरा उनकी मां निशा सिंघानिया और तीसरा उसका भाई अनुराग सिंघानिया है। यहां पर एक और शख्स की बात की जा रही है सुनील सिंघानिया, जो निकिता के संबंधी हैं। पुलिस के अनुसार उनकी भी तलाशी की जा रही है।

कोर्ट ने निकिता और उसकी फैमिली पर क्या चार्जेज लगाए ?

  अब बताते हैं कि निकिता और उसके फैमिली पर क्या-क्या चार्ज लगाए गए हैं। देखिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)  के अंडर सेक्शन 108 के तहत उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने  का आरोप लगा है। इसी के चलते उसे ज्यूडिशल कस्टडी में भेज दिया गया था लेकिन उसके बाद यह बेंगलुरु के सेशन कोर्ट में बेल के लिए अपील करते हैं। इससे पहले यह लोग बेल के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट भी गए थे लेकिन  तब कर्नाटक हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को यह कहते हुए  रोक निर्देश दिया था, कि आपको इनके बेल के लिए जो भी निर्णय देना है, उसे 4 जनवरी तक दे दीजिए। इसलिए 4 जनवरी को सेशन कोर्ट का निर्णय आ जाता है जिसमें इन लोगों को बेल मिल जाती है। लेकिन यहां पर अतुल-सुभाष के वकील ने हाई कोर्ट से थोड़ा और समय मांगा था जिसमें उन्होंने कोर्ट से कम से कम 6 जनवरी तक का समय देने की मांग की थी जिससे वो सबूत और गवाह जुटाने के लिए समय मिल सके और उसके आधार पर  वह बताते  कि निकिता और उसकी फैमिली को क्यों बेल  नहीं देना चाहिए ।

निकिता और उसकी फैमिली को बेल क्यों मिली ?

अब आप सोच रहे होंगे कि निकिता और उसकी फैमिली को बेल  क्यों मिल गई? देखिए आप किसी पर कितना भी बड़ा इल्जाम लगा दीजिए, लेकिन कोर्ट सिर्फ उसका सबूत और गवाह देखता है। ऐसे में निकिता के वकील भरत कुमार ने कोर्ट में यह दलील दिया कि पुलिस ने निकिता और उसकी फैमिली को गलत तरीके से डिटेन किया हुआ है। उनका दलील था कि सिर्फ सुसाइड नोट और उनके वायरल वीडियो के आधार पर निकिता और  उनके फैमिली को गिरफ्तार किया गया है और इस समय पर मीडिया ट्रायल हाईएस्ट लेवल पर चल रहा है जिसकी वजह से सोशल मीडिया और नेशनल टेलीविजन पर इसको  लेकर बातचीत हो रही है। उन्होंने बोला की  इसके अलावा यहां पर दूसरा कोई आधार नहीं है जिसकी वजह से निकिता और उसकी फैमिली को जेल में रखना चाहिए इसके बाद कोर्ट उसे बेल  दे दिया जाए।


अब सवाल यह भी आता है कि अतुल सुभाष के वकील भी तो अपने साइड से कुछ तर्क रखा होगा ना ? यहां पर अतुल सुभाष के वकील का कहना है, की सुसाइड नोट इस समय फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है लेकिन कोर्ट के द्वारा यह अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह हैंडराइटिंग अतुल सुभाष का ही है और कोर्ट में अब तक उस वायरल वीडियो की भी पुष्टि नहीं हुई है जिसमें वह खुद को प्रताड़ित बताता हुआ पाया गया था।  वीडियो और सुसाइड नोट की अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। संभव है अगर उसकी जांच हो जाती तो कोर्ट उसके आधार पर निर्णय देता या आगे चलकर कोर्ट इस पर विचार करती ।ऐसे में संभव है कि निकिता और उसकी फैमिली को तब बेल नहीं मिलता। इसलिए अतुल सुभाष के वकील का कहना था कि वह फैक्ट पर तर्क करते हैं कि यहां पर अतुल सुभाष का हरासमेंट हो रहा था। इसके साथ में अतुल सुभाष के भाई ने ही बेंगलुरु में इस मामले को दर्ज करवाया था। उनके अनुसार यह लोग 15 ऑब्जेक्शन  ऐसे बताएं जिससे निकिता और उसकी फैमिली को बेल ना मिल सके और उसमें सबसे बड़ा जो ऑब्जेक्शन था, वह यही था कि पुलिस अब तक खोजबिन कंप्लीट नहीं कर सकी है। तो बात यही हो रही है कि जब तक अब तक पुलिस अपनी जांच  पूरा नहीं कर पाई है जिससे वह सबूत और गवाहों को कोर्ट में लेकर ना आ पाए हैं। इसलिए निकिता और उसकी फैमिली को इस समय  बेल मिल गई है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने भी सेशन कोर्ट को बोल दिया था कि आपको 4 जनवरी तक अपना निर्णय दे देना है।

अतुल सुभाष ने एक और बात बताई थी कि उनका एक बेटा भी है, जो इस समय निकिता की ही कस्टडी में है।  उन्होंने वीडियो में उसे अपने फैमिली वाले को दे देने के लिए बोला था। मतलब अतुल सुभाष के दादा दादी को उसे दे  देने को कहा था। इसके बाद से अतुल सुभाष के पिता प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में अपील कर रहे हैं कि वह कुछ सख्त कदम उठाएं। यहां पर उनके पिता का यह भी कहना है कि उनके  पोता को भी शायद निकिता ने मार दिया है क्योंकि उसके बारे में अब तक कुछ पता नहीं है। इसलिए यह लोग अपील कर रहे हैं कि उनके पोते को खोजा जाए और पता लगाकर उसे  हमें सोपा  जाए।

कानून मर्दों के लिए भी होनी चाहिए : अतुल-सुभाष का भाई

 यह केस जिस तरह से निकलकर सोसाइटी में सामने आया है, उसके बाद फिर से आवाज उठ रही है की कानून पुरुषों के लिए भी होनी चाहिए। अक्सर  देखा जाता है कि हमारे देश में कानून को जिस तरह से लागू किया जाता है, उसको देखकर लगता है कि यह सिर्फ महिलाओं को ही प्रोटेक्ट करता है। इसलिए यहां पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी बोला गया कि जिस तरह से महिलाएं कानून का दुरुपयोग करती हैं, वह गलत है। वैसे तो देश में यह बात सही है कि प्रायः  औरतों पर उनके ससुराल में काफी अत्याचार होते हैं। उनसे दहेज और घरेलू हिंसा के नाम पर वसूली की जाती है। जिससे कई बार औरतें आत्महत्या कर लेती  है। लेकिन इस चीज को समझकर आजकल महिलाएं कानून का  गलत फायदा उठा रही है। इस पर हाल ही में जस्टिस वी नागरत्न और कोटेश्वर सिंह के बेंच ने यह बात मानी थी कि आईपीसी 498 ए का दुरुपयोग हो रहा है। आगे उन्होंने कहा कि यह कानून महिलाओं को प्रोटेक्ट करने के लिए है, कि उनके साथ कुछ भी गलत हो रहा है तो अपने ससुराल के लोगों को जेल भिजवा सकते हैं। मगर इस कानून का दुरुपयोग सही नहीं है। इसका कई बार बदला लेने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जो कि गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए। इसका भी मैंने आपको ब्लॉग  में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को चेतावनी दी थी क्योंकि उस महिला ने अपने पति और उसके फैमिली पर आईपीसी का सेक्शन 498 ए लगा दिया था। लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि वह महिला खुद दूसरे पुरुष के साथ भाग गई थी, जिसकी वजह से उसका पति उससे तलाक चाहता था। लेकिन जैसे ही महिला तलाक की बात सुनी, तो उसने फौरन उस पुरुष पर दहेज और मारपीट का केस करवा दिया सेक्शन  498 ए के अंदर। पूरी बात खुलने के बाद सुप्रीम कोर्ट उस महिला को वार्निंग दी कि तुम गलत काम कर रहे हो।
पूरी स्टोरी पढ़ें – सुप्रीम कोर्ट माना की आईपीसी सेक्शन 498A का दुरूपयोग हो रहा है।
 आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि सेक्शन 498 ए को हटा दिया जाए, जिससे महिलाओं को शांति के साथ जीने का अधिकार ही  छीन लिया जाए। लेकिन आजकल बहुत से केस में इस कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा “पुरुष अधिकार एक्टिविस्ट” भी इसको लेकर आवाज उठा रहे हैं और इनका भी मानना है कि सेक्शन  498A  का दुरुपयोग हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट भी यह  मान लिया है कि इस तरह के 98% केस गलत साबित हो रहे हैं, जिसमें बदला लेने के लिए बोल दिया जाता है कि उसे पीटा जा रहा है। इसके बाद पति और उसकी फैमिली नौकरी छोड़कर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते रह जाते हैं। आगे देखते हैं इस मामले में क्या निकल कर आता है। आप अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।

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