पहली पत्नी 500 करोड़, दूसरी पत्नी 12 करोड़ की उगाही,दोनों को छोड़ शख्स ले रहा चैन की साँस

परिचय

नमस्कार दोस्तों, दोस्तों जैसा की  आप सभी जानते हैं कि जिस तरह से हाल ही में अतुल सुभाष वाली दुखद घटना सामने आई थी जिसमें वह पत्नी की प्रताड़ना से आत्महत्या कर लिया था। इसके बाद देश के अंदर काफी चर्चा एलीमोनी  को लेकर हो रही है। मेरा कहने का मतलब यह है कि तलाक के बाद पत्नी को जो पैसा मेंटेनेंस देना होता है वह एक तरह से वाजिब भी है मगर सवाल यह भी है कि वह  किस लिमिट तक वह पैसा दिया जाना चाहिए? मेरा कहने का मतलब यह है की क्या  पत्नी पति से जितना चाहे पैसे मेंटेनेंस के नाम पर वसूल सकती है? इसी की वजह से कोर्ट में भी केस  लंबा खींचता  रहता है और इन चीजों का कोई समाधान नहीं निकल पाता है। इसी  को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक बहुत बड़ा निर्णय आया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ-साफ कह दिया कि एलीमोनी  का मतलब यह नहीं होता कि पत्नी को पति की आधी संपत्ति दे दी जाए। मतलब ऐसा नहीं है कि उस शख्स की पत्नी कह दे  कि तुम अपनी पूरी संपत्ति में 50 फ़ीसदी मुझे दे दो। क्योंकि हाल ही में एक मामला आया था सुप्रीम कोर्ट में जिसमें पत्नी ने पांच सौ  करोड रुपए एलुमनी मांगा था।  एलीमोनी एक तो मासिक भी होता है और दूसरी एकमुश्त  भी होता है। तो इसी से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट को हम समझेंगे इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण चीज हैं और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 8 स्टेप्स बताए थे कि उन फैक्टर को ध्यान में रखकर एलुमनी दिया जाना चाहिए। तो यह सारी बातें आपको इस  इस ब्लॉग  में बताऊंगा। तो चलिए शुरू करते हैं और देखते हैं कि आखिर हुआ क्या है ?

Marriage also called wedlock. This is a culturally and often legally recognised union between people called spouces.

हुआ क्या है ?

सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय हाल ही में आया उसमें एक बहुत बड़ी बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में  शादी कोई व्यवसाय  नहीं है, बल्कि वह तो एक संस्कार है जिसमे सात जन्मों तक जीने मरने की कसम खायी जाती है । अक्सर  देखा जाता है कि दो लोगों में शादी होने के बाद पत्नी तलाक दे देती है और उसके आधार पर वह बहुत सारा पैसा पाने  के लिए दावेदारी करने लगती है। यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने इसपर  खेद  जताते हुए कहा  की कानून का जिस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है शादी के विवाद को लेकर वह सही नहीं है। यहां पर एलीमोनी  को लेकर स्पष्ट करते हुए बोला गया कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की तलाक देकर एलुमनी का यह मतलब नहीं होता कि पति की आधी संपत्ति पत्नी को दे दी जाए। ऐसा भी हो सकता है कि तलाक के बाद पति काफी अच्छा काम करने लगा हो और उसके बाद वह काफी सारा पैसा कमा रहा हो तो उसके आधार पर क्या पत्नी को या अधिकार है यह  कहने का कि मुझे और पैसे दो ? तो इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया है कि ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। मैं आपको बता दूं कि यहां पर जिन  दो जजों की बेंच है  वे नगरत्न और पंकज मित्तल हैं । इन्होंने कुछ मुख्य सिद्धांत बताएं और फिर इलेमानी कैसे डिसाइड होगी उसके बारे में भी बताया। साथ ही साथ जो यह पूरा जजमेंट है वह कहीं ना कहीं बताता है कि हिंदू मैरिज में जिस तरह से आध्यात्मिक और परंपरा का समावेश है उसे एक तरह से बरकरार रखा जाए। इसी के साथ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह पारिवारिक मूल्य का आधार है और यह समाज  में शांति व्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए यहां पर जो भी विवाद होते हैं उन्हें सही तरीके से हल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में कौन सा मामला चल रहा है ?

अब सवाल आता है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह सारी चीज क्यों कहीं और  कौन सा केस गया था सुप्रीम कोर्ट में जिसके आधार पर ऐसा बोला गया है? मैं आपको बता दूं कि जुलाई 2021 का एक मामला है जब एक कपल की शादी होती है। इसमें पति अमेरिका में आईटी काउंसलर है। इसमें संदेह नहीं कि उसके पास काफी पैसा होगा। ऐसे में पति अपनी पत्नी से तलाक लेना चाहता था लेकिन पत्नी उसे तलाक नहीं देना चाहती थी और कहा कि मुझे एलीमोनी  चाहिए  जो  500 करोड रुपए की थी। दरअसल इसकी पत्नी का यह कहना है कि जिसका तलाक हुआ है, उसका पहले से भी एक पत्नी रह चुकी है और उसके साथ जब तलक हुआ था तो उसने 500 करोड रुपए लिए थे और उसी के आधार पर मैं भी चाहती हूं कि मुझे भी कम से कम 500 करोड रुपए दिए जाएं। इसके अलावा उसकी पत्नी ने यह भी बताया कि जो शख्स आईडी बेस्ट कंसलटेंट है उसके पास अमेरिका में 5000 करोड रुपए की संपत्ति है। इसी के आधार पर वह भी कम से कम 500 करोड रुपए की एलीमोनी  पाना चाहती है। यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है  लेकिन पांच सौ  करोड रुपए के बदले सिर्फ 12 करोड रुपए देने की ही बात की, जिससे उसका आगे का गुजारा सही ढंग से चलता  रहे।

एलीमोनी का मतलब आधी मालकिन नहीं-सुप्रीम कोर्ट

अब देखिए यहां पर महत्वपूर्ण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने  बोला कि हो सकता है उस शख्स के पास 5000 करोड रुपए की संपत्ति हो। या  हो सकता है कि 10000 करोड रुपए की संपत्ति हो। तो क्या उसके आधार पर पत्नी अपनी मर्जी से जितनी मर्जी उतनी राशि की दावेदारी कर सकती है? इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो एलुमनी राशि  है उसमें आप यह नहीं कह सकते कि आप पत्नी है तो आपको 50% पति के संपत्ति पर हिस्सेदारी हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक तरह से जो मेंटेनेंस का कानून है  वह यह कहता है कि जो आपका साथी  है वह आगे भी सही सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ जी सके और जिस तरह वह अपने पति के साथ रह रही थी आगे भी उसी तरह से अपनी लाइफ को मेंटेन रख सके। अब चाहे कोई भी हो क्या उसे अपने स्टैंडर्ड को मेंटेन रखने के लिए पांच सौ  करोड रुपए की जरूरत होगी? तो ऐसा नहीं है अगर सामने वाला पति या पत्नी आगे चलकर अच्छा कमाने लगता है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप दावा करने लग जाओ कि अब वह अच्छा काम रहा है तो आपको इतना पैसा मिलना चाहिए। ऐसे में आप यह नहीं कह सकते कि पहले उसका 50 करोड़ इनकम था और अब पांच सौ  करोड़ इनकम है। तो इस प्रकार मुझे 250 करोड़ मिलना चाहिए। तो सुप्रीम कोर्ट ने एलीमनी को लेकर क्लियर किया है  कि यह पति को लूटना नहीं होता है बल्कि यह पत्नी के आगे का लाइफ सही तरीके से चलने के लिए दिया जाने वाला रकम है। ऐसा नहीं है कि तलाक के बाद पति के पास कुछ भी  नहीं बचे।

जब पति गरीब हो तब क्या होगा ?

कई लोग यह भी कहते हैं कि अलीमनी मिलना ही नहीं चाहिए। लेकिन ऐसा भी नहीं है क्योंकि शादी से पहले लड़की कहीं जॉब कर रही हो और अच्छा पैसा कमा रही हो।लेकिन शादी के बाद परिवार वालों के दबाव पर वह जॉब छोड़ दी होगी,बच्चे संभालती होगी  और घर देखती  होगी। इस तरह से शायद उसने जॉब छोड़ दी होगी तो जाहिर सी बात  है की  इस केस में अगर तलाक हो जाता है तो वह लड़की तो घाटे में रहेगी। इसलिए अलीमनी जरूरी हो जाता है। लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट सख्ती  से कहता है कि अली मनी महत्वपूर्ण है पर इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी मर्जी से जितना चाहे पैसे की डिमांड कर सकते हैं की पति के पास इतना पैसा है तो उसमें से 50%  मिलना  ही चाहिए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एक और सवाल पूछा कि मान लीजिए आगे चलकर आपका पति गरीब हो जाता है और  उसकी जॉब  चली जाती है। तो आप तब  क्या कम पैसे की डिमांड  करोगे ? इसलिए अलीमनी में 50%  की जो भावना है वह गलत है।

कानून का दुरूपयोग करती हैं महिलाएं- सुप्रीम कोर्ट

इसी के साथ में सुप्रीम कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण चीज कही  की बहुत से केस  ऐसे निकल कर आ रहे हैं जो मेट्रोमोनियल कानून  है, उसका गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। बहुत सारे केस में पति पर बलात्कार और घरेलु  हिंसा का चार्ज लगाया जा रहा है जिससे पति और उसका परिवार दबाकर मजबूरी में पत्नी की डिमांड मान लेता है। हाल ही में घटित अतुल सुभाष वाला जो केस था उसमें भी वही हो रहा था। यहां पर भी बोला जा रहा था कि अतुल सुभाष पर गलत केस  ठोके गए और इसके बाद  बार-बार उसे बेंगलुरु से कानपुर जाना पड़ता था केस लड़ने के लिए।  इसी की वजह से अतुल सुभाष का परिवार दबाव में था की  वह इतना पैसा कहां से लेकर आएगा? तो यह सारी समस्याएं चल रही थी।
यहां पर भी सुप्रीम कोर्ट ने भी  एक महत्वपूर्ण बात कही है और पत्नी का जो झूठ है उसे भी दिखाया है।  सुप्रीम कोर्ट के जज ने  महिला से पूछा कि एक तरफ तो आप कह रहे हैं की शुरुआत के दिनों में आप दोनों  काफी खुश थे और दूसरी तरफ अपने पति पर  इतने क्रिमिनल केस दर्ज करवा  रहे हैं ?इसमें बहुत ही विरोधाभास होता है की  लड़की सही हो। इसलिए यह सब नहीं होना चाहिए। यहां पर जस्टिस नागरत्न ने वार्निंग दी  की कानून का गलत इस्तेमाल लोग ना करें क्योंकि यह कानून आपकी भलाई के लिए बनाया गया है। इस कानून का उपयोग पति को धमकी देने या फिर पैसे ऐंठने  के लिए ना करें ।

कौन-कौन से फैक्टर्स से एलीमोनी की राशि निर्धारित की जाती है ?

तो यही पूरा मामला था दोस्तों। मुझे उम्मीद है कि आपको पूरी बात समझ आई होगी। इसी के साथ में सुप्रीम कोर्ट ने 8 फैक्टर बताएं जिसके आधार पर एलीमोनी को डिसाइड किया जा सकता है।
इसमें पहला जो है वो यह  कि पति-पत्नी का इस  टाइम स्टेटस क्या है ?यानी फाइनेंशियल स्टेटस और सोशल स्टेटस क्या है, उसके आधार पर एलीमनी की राशि  तय की जा सकती है।
 दूसरा है स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ पत्नी कैसा इंजॉय कर रही थी तलाक से पहले। अगर वो रोज चिकन मटन खाती होगी और शॉपिंग करती होगी तो उसे इसके अनुसार ही एलीमोनी दी जानी चाहिए ।
तीसरा पत्नी पर बच्चों  का दायित्व है अथवा नहीं जाहिर सी बात है कि बच्चे पत्नी के साथ रहते हैं तो पत्नी पर ज्यादा बोझ होगा। इसलिए उसे ज्यादा पैसे मिलने चाहिए।
 चौथा दोनों पार्टियों का क्वालिफिकेशन और अपॉइंटमेंट स्टेटस कैसा है, यह भी मायने रखता है।अगर पत्नी पहले से ही अच्छा काम रही है तो उसे फिर पैसे की क्या जरूरत है।
 पांचवां  जो है वह  यह  की पत्नी ने शादी के बाद जॉब  छोड़ा था कि नहीं? यह भी महत्वपूर्ण है कि अगर पत्नी ने जॉब छोड़ दिया था फैमिली के प्रेशर में आकर तो जाहिर सी बात है कि उसे पैसे मिलने चाहिए।
 छठा  है कि पति-पत्नी के पास किस प्रकार का इनकम है अगर पत्नी के पास पहले से ही बहुत सारा पैसा है तो उसे एलीमनी  की क्या जरूरत है?
सातवाँ  है कि केस  लड़ने के लिए कितना   खर्च आया? जिसमें पत्नी नॉन वर्किंग  है, तो उसे इसके बदले पैसे मिलने चाहिए।
आठवां पति के पास फाइनेंशियल कैपेसिटी कैसी है? उसपर  कितन है कर्ज  है, यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मान लीजिए पति की इनकम अगर एक लाख  रुपए है जिसमें से 60000 रुपए तो वह उसका  किस्त भर रहा है। तो ऐसे में वह 50000 के एलीमनी  कैसे जमा करेगा? तो इसलिए यह सब पॉइंट्स  बहुत मायने रखता है एलीमोनी को डिसाइड करने के लिए।
तो हमें देखना होगा कि देश में कानून को कैसे लागू किया जाता है। लेकिन जो सुप्रीम कोर्ट का हाल ही में एलीमनी  को लेकर जो लेटेस्ट जजमेंट था वह आपको समझ आया होगा। इस ब्लॉग  में इतना ही। मिलते हैं आपसे एक नए ब्लॉक में तब तक के लिए आप अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिएगा ।

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